मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव के लिए सियासी पारा अपने चरम पर पहुंच गया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने अपनी चुनावी रणनीति को धार देते हुए 27 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। 29 दिसंबर को हुई इस घोषणा ने मुंबई की राजनीति में हलचल तेज कर दी है, क्योंकि यह सूची नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से ठीक एक दिन पहले आई है।
इस नई सूची के साथ ही एनसीपी द्वारा घोषित कुल उम्मीदवारों की संख्या अब 64 हो गई है। पार्टी की यह सक्रियता दर्शाती है कि वह देश के सबसे अमीर नगर निगम के चुनाव को लेकर कितनी गंभीर है।
महायुति में दरार या रणनीतिक फैसला?
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एनसीपी ने बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ महायुति गठबंधन में होने के बावजूद, बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। जहां एक ओर बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) ने आपसी तालमेल के साथ गठबंधन किया है, वहीं अजित पवार की पार्टी अपनी स्वतंत्र पहचान और सांगठनिक ताकत आजमाने के लिए मैदान में उतरी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। पहले चरण में 37 उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अब 27 और नामों का जुड़ना पार्टी के आत्मविश्वास को दर्शाता है।
दूसरी सूची के प्रमुख चेहरे
एनसीपी की दूसरी सूची में स्थानीय समीकरणों और जमीनी पकड़ वाले चेहरों को प्राथमिकता दी गई है। प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल हैं:
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वार्ड नंबर 3: मनीष दुबे
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वार्ड नंबर 40: विलास दगडू घुले
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वार्ड नंबर 48: सिरील पिटर डिसोझा
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वार्ड नंबर 57: अजय दत्ता विचारे
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि ये उम्मीदवार स्थानीय मुद्दों को उठाने और मतदाताओं को आकर्षित करने में सक्षम हैं। हालांकि, मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम के बयानों और नवाब मलिक की भूमिका को लेकर जारी विवादों ने चुनावी माहौल को काफी पेचीदा बना दिया है।
बीएमसी चुनाव का पूरा शेड्यूल
मुंबई समेत महाराष्ट्र की कुल 29 नगर निगमों के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है। 227 सीटों वाली बीएमसी के लिए मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है:
| विवरण |
तिथि |
| मतदान की तिथि |
15 जनवरी, 2026 |
| मतगणना की तिथि |
16 जनवरी, 2026 |
| कुल सीटें (BMC) |
227 |
एनसीपी की अलग राह के मायने
महाराष्ट्र की राजनीति में यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है। सुनील तटकरे (एनसीपी महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष) और अजित पवार के बीच हुई मैराथन बैठकों के बाद यह स्पष्ट किया गया कि पार्टी मुंबई के हर कोने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।
अकेले चुनाव लड़ने से एनसीपी को निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
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वोट बैंक का विस्तार: पार्टी अपनी विचारधारा और अजित पवार के विकास मॉडल को सीधे जनता तक ले जा सकेगी।
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कार्यकर्ताओं में जोश: अलग चुनाव लड़ने से पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने और संगठनात्मक क्षमता दिखाने का मौका मिलता है।
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भविष्य की सौदेबाजी: यदि बीएमसी में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता, तो एनसीपी 'किंगमेकर' की भूमिका निभा सकती है।