भारत के केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या से कुछ ही घंटे पहले उनकी मुलाकात तेहरान में हुई थी। यह घटना उस समय की है जब गडकरी ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे थे।
प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में ईरान दौरा
गडकरी ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर ईरान गए थे। तेहरान के एक प्रतिष्ठित फाइव-स्टार होटल में कार्यक्रम से पहले एक अनौपचारिक बैठक चल रही थी, जहाँ विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष चाय-कॉफी पर चर्चा कर रहे थे। इसी सभा में इस्माइल हानिया भी मौजूद था। गडकरी ने उसे राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश के साथ मंच की ओर जाते हुए भी देखा था।
आधी रात का वो खौफनाक मंजर
गडकरी ने उस रात की भयावहता को याद करते हुए बताया कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद वे अपने होटल लौट आए थे। लेकिन सुबह लगभग 4 बजे, ईरानी राजदूत ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने बताया कि "हमास प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या हो गई है" और सुरक्षा कारणों से गडकरी को तुरंत वहां से सुरक्षित निकालना होगा।
हत्या की रहस्यमयी पहेली और इजरायल का उदाहरण
हानिया की हत्या आज भी एक अंतरराष्ट्रीय रहस्य बनी हुई है। गडकरी ने उल्लेख किया कि इसकी वजह को लेकर कई सिद्धांत प्रचलित हैं:
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मोबाइल सिग्नल: कुछ का मानना है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से लोकेशन ट्रेस की गई।
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रिमोट बम: कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि जिस कमरे में हानिया रुका था, वहां महीनों पहले ही बम फिट कर दिया गया था।
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मिसाइल हमला: इजरायली खुफिया तंत्र की सटीकता को लेकर भी कई कयास लगाए गए।
नितिन गडकरी ने इस घटना का जिक्र करते हुए भारत की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा कि कोई देश आकार में भले ही छोटा हो, लेकिन यदि उसकी तकनीक और सैन्य शक्ति मजबूत है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उसकी तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकती।
कूटनीतिक संदेश
यह खुलासा इस बात की पुष्टि करता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की उपस्थिति कितनी महत्वपूर्ण है और संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में भारतीय राजनयिक और मंत्री किस तरह की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच काम करते हैं। गडकरी का यह बयान इस बात की ओर भी इशारा करता है कि आधुनिक युद्ध अब केवल सीमा पर नहीं, बल्कि सूचना और उच्च तकनीक (High-tech) के जरिए भी लड़े जा रहे हैं।