मुंबई, 15 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) चिकित्सा जगत में एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार ने विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है, जिसे एपीडर्मोडिसप्लेसिया वेरूसीफॉर्मिस (Epidermodysplasia Verruciformis - EV), या 'ट्री मैन सिंड्रोम' के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति के कारण त्वचा पर पेड़ की छाल जैसी कठोर और खुरदुरी परतें जम जाती हैं।
रोग के कारण और लक्षण
यह दुर्लभ स्थिति TMC6 या TMC8 जैसे जीन में उत्परिवर्तन (mutation) के कारण होती है। ये जीन शरीर को ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) के कुछ प्रकारों से लड़ने से रोकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, फ्लैट, पपड़ीदार और मस्से जैसे घाव बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं और समय के साथ सख्त होते जाते हैं, जिससे शरीर की हलचल प्रभावित होती है।
निदान और उपचार
त्वचा विशेषज्ञ डॉ. अजय राणा के अनुसार, इस रोग का निदान क्लीनिकल परीक्षण, त्वचा की बायोप्सी, एचपीवी और जेनेटिक जांच पर आधारित होता है।
इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है। उपचार का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को नियंत्रित करना है। इसमें घावों को शल्य चिकित्सा से हटाना, सामयिक रेटिनोइड्स का उपयोग और प्रयोगात्मक एंटीवायरल थेरेपी शामिल हैं। हालांकि, घाव फिर से उभर सकते हैं।
सामाजिक और चिकित्सा चुनौतियां
दुनियाभर में इस रोग के 600 से भी कम मामले सामने आए हैं, जिससे यह अत्यंत दुर्लभ है। ईवी के मरीजों को त्वचा कैंसर होने का खतरा भी काफी अधिक होता है।
अपनी दुर्लभता के कारण, इन मरीजों को अक्सर सामाजिक कलंक, गलत निदान और अलगाव का सामना करना पड़ता है। कई क्षेत्रों में विशेष देखभाल तक पहुंच की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि यह बीमारी छूत की नहीं है, बल्कि पूरी तरह से आनुवंशिक है।