मुंबई, 06 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली में पिछले एक हफ्ते से विमानों के GPS सिस्टम में फेक अलर्ट की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसे तकनीकी भाषा में GPS स्पूफिंग कहा जाता है। इसके तहत पायलटों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा मिल रहा है, जिससे उड़ानों की दिशा और रूट पर भ्रम की स्थिति बन रही है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में इस तरह की कई घटनाएं दर्ज की गई हैं। फ्लाइट रेगुलेटर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को इस मामले की जानकारी दी गई है और जांच शुरू कर दी गई है।
स्पूफिंग दरअसल एक साइबर अटैक है, जिसमें किसी विमान या जहाज को गुमराह करने के लिए फर्जी GPS सिग्नल भेजे जाते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल वॉर जोन में किया जाता है ताकि दुश्मन के ड्रोन या फाइटर प्लेन को भ्रमित किया जा सके। लेकिन दिल्ली जैसे सिविलियन एयरस्पेस में इसका होना बेहद असामान्य माना जा रहा है।
एक एयरलाइंस के पायलट ने बताया कि उन्होंने पिछले छह दिनों में लगातार फ्लाइट उड़ाई और हर बार GPS स्पूफिंग का सामना किया। उन्होंने कहा कि एक बार फ्लाइट की लैंडिंग के दौरान सिस्टम ने चेतावनी दी कि रूट पर खतरा है, जबकि वास्तविकता में वहां कुछ भी नहीं था। इससे कई विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ में देरी भी हुई।
सूत्रों के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के आसपास GPS स्पूफिंग होना आम बात है, लेकिन दिल्ली के ऊपर ऐसा होना असामान्य है। इस दौरान किसी सैन्य अभ्यास की सूचना भी एयर ट्रैफिक कंट्रोल को नहीं दी गई थी, जिससे पायलटों को सतर्क किया जा सके।
DGCA ने नवंबर 2023 में सभी एयरलाइंस को निर्देश जारी किए थे कि वे ऐसे मामलों में मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन करें और हर दो महीने में रिपोर्ट सौंपें। भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के सामने भी उठाया था ताकि वैश्विक स्तर पर सुरक्षा मानकों को और मजबूत किया जा सके।