“द भूतनी” रिव्यू: रोमांस, रस और रहस्यमयी रूहों की सवारी — ये हॉरर-कॉमेडी है एकदम झकास!
The Bhootnii ना कोईआर्ट फिल्म है, ना सिर्फ हॉरर — ये है एकदम देसी मसाला एंटरटेनर जिसमें डर भी है, प्यार भी है, और ढेर सारी मस्ती भी।
लेखक-निर्देशक: सिद्धांत सचदेव
कास्ट: संजय दत्त, मौनी रॉय, सनी सिंह, पलक तिवारी, निकुंज शर्मा, आसिफ़ ख़ान
अवधि: 2 घंटे 10 मिनट
सिद्धांत सचदेव की "द भूतनी" एकदम देसी स्टाइल की धमाकेदार बॉलीवुड फिल्म है — जिसमें है प्यार, प्रेत, पागलपन और पक्की मस्ती! कहानीशुरू होती है एक डरावनी वॉयसओवर से, जो हमें सेंट विंसेंट कॉलेज की सैर कराती है। कॉलेज के बीचोंबीच है वो कुख्यात वर्जिन ट्री, जहां दिल टूटेआशिक सच्चे प्यार की दुआ मांगते हैं। पर अफसोस, ये पेड़ मन्नतें सिर्फ देता नहीं... कुछ ले भी लेता है।
एक फ्लैशबैक हमें ले जाता है 2004 में, जब कॉलेज में अजीबो-गरीब मौतों का सिलसिला शुरू होता है — ज़्यादातर लड़के जो पेड़ के नीचे जाकरप्यार की मन्नत मांगते थे, या तो खुदकुशी कर लेते या रहस्यमय हालत में मर जाते। तब से ये पेड़ बदनाम हो गया — "भूतनी वाला पेड़"।
अब आते हैं वर्तमान में, जहां एंट्री होती है हमारे हीरो शांतनु (सनी सिंह) की, जिसका दिल टूटा है और जो शराब के नशे में धुत्त वेलेंटाइन्स डे की रातउसी पेड़ के पास पहुंचता है, और चीख-चीख कर कहता है — "मुझे सच्चा प्यार चाहिए!" पर उसे क्या पता था कि उसकी ये मुराद जगा देगी सदियोंपुरानी आत्मा को — मोहब्बत (मौनी रॉय) यानी खुद भूतनी को।
अब शुरू होती है डर और ड्रामे की कहानी। एक-एक कर अजीब घटनाएं होने लगती हैं। शांतनु को लगता है कोई उसका पीछा कर रहा है। तभी आतीहै अनन्या (पलक तिवारी) — उसकी क्लासमेट, जिसे उसने पहले कभी नोटिस नहीं किया। वो दोस्त बनती है, सहारा देती है, लेकिन धीरे-धीरे दर्शकोंको भी शक होने लगता है — कहीं अनन्या ही तो भूतनी नहीं?
तभी फिल्म में होता है ट्विस्ट — असली भूतनी यानी मौनी रॉय खुद शांतनु के सामने आ जाती है। एक रहस्यमयी, खूबसूरत, पर दर्दभरी आत्मा — जोप्यार चाहती है, पर उसके लिए किसी भी हद तक जा सकती है। शांतनु भी उससे धीरे-धीरे दिल लगाने लगता है। हां, आप सही सुन रहे हैं — एकइंसान और एक भूत के बीच प्यार हो जाता है!
लेकिन जैसे-जैसे ये ‘अलौकिक प्रेम कहानी’ आगे बढ़ती है, खतरा भी बढ़ता है। मोहब्बत को जब लगता है कि अनन्या भी शांतनु से प्यार करती है, तोउसकी जलन जानलेवा बन जाती है। फिर होती है बाबा (संजय दत्त) की जबरदस्त एंट्री — एक्स-स्टूडेंट, अब घोस्ट हंटर, जो स्टाइल में मंत्र पढ़ता हैऔर कॉमिक टाइमिंग में भी मास्टर है।
बाबा आते ही कॉलेज की पुरानी फाइलें खंगालते हैं, और उन्हें पता चलता है एक डरावनी सच्चाई — हर साल होलिका दहन की रात, कोई एक जानजाती है। और अब बस 8 दिन बचे हैं… क्या इस बार शिकार शांतनु होगा? या कोई इस चक्र को तोड़ेगा?
फिल्म का सेकंड हाफ एकदम स्पीड पकड़ लेता है — भूतिया वारदातें, इमोशनल मोमेंट्स, और तगड़े टकराव। क्या मोहब्बत को मिलेगा उसका सच्चाप्यार? क्या अनन्या का प्यार बचा पाएगा शांतनु को? या फिर सब कुछ खत्म हो जाएगा होली की आग में? ये जानने के लिए फिल्म देखना तो बनताहै!
अभिनय की बात करें तो: मौनी रॉय भूतनी के रोल में गजब लगती हैं — एक साथ खतरनाक भी और दर्दभरी भी। उनकी आंखों में तड़प है, अंदाज़ मेंआग है। सनी सिंह ने शराफत और ह्यूमर का अच्छा संतुलन रखा है। पलक तिवारी एक फ्रेश और रहस्यमयी चेहरे के रूप में खूब जमी हैं। और संजयदत्त? बस पूछिए मत — मस्त मौला बाबा के रूप में छा गए!
टेक्निकली भी फिल्म दमदार है। सिनेमैटोग्राफी कॉलेज को एक डरावने कैरेक्टर में बदल देती है — वो पेड़, वो गलियां, वो अंधेरा सब कुछ बोलता है।बैकग्राउंड स्कोर जबरदस्त है — कभी सस्पेंस बढ़ाता है, कभी नाचने पर मजबूर कर देता है। खासकर “महाकाल महाकाली” सॉन्ग तो पूरा माहौल हीबदल देता है।
हां, कहानी कभी-कभी बहुत फिल्मी हो जाती है, लॉजिक की छुट्टी भी होती है, लेकिन यही तो बॉलीवुड मसाले का मजा है! The Bhootnii ना कोईआर्ट फिल्म है, ना सिर्फ हॉरर — ये है एकदम देसी मसाला एंटरटेनर जिसमें डर भी है, प्यार भी है, और ढेर सारी मस्ती भी।
तो पकड़ो अपने दोस्त, ले जाओ अपने परिवार को, या फिर उस एक्स को जिसने तुम्हें भूत बना दिया था — और देख डालो ये फिल्म। क्योंकि भूतनीसिर्फ स्क्रीन पर नहीं आती…वो तो सीधा दिल में उतर जाती है।