आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया एक प्रमुख सूचना स्रोत बन चुका है। लेकिन जिस तेजी से यह प्लेटफॉर्म सूचनाओं को फैलाता है, उसी तेजी से गलत और भ्रामक जानकारियां भी लोगों तक पहुंचती हैं। खासकर वीडियो कंटेंट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना अब और भी जरूरी हो गया है, क्योंकि एआई (Artificial Intelligence) की मदद से किसी भी दृश्य को असल जैसा दिखाना अब संभव है। हाल ही में दिल्ली में एक ट्रेन हादसे का दावा करते हुए एक वीडियो वायरल हुआ, लेकिन जांच में यह पूरी तरह फर्जी और एआई जनरेटेड निकला।
क्या है वायरल वीडियो का दावा?
एक TikTok और Instagram जैसे शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म पर shakshishukla777
नाम की प्रोफाइल से एक वीडियो शेयर किया गया।
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक ट्रेन का डिब्बा एक नदी में गिर रहा है।
वीडियो में कैप्शन के जरिए दावा किया गया:
वीडियो को देखकर किसी को भी लगेगा कि यह किसी रियल हादसे का दृश्य है, लेकिन इसमें ना तो घटनास्थल स्पष्ट है और ना ही कोई प्रामाणिक स्रोत का जिक्र।
क्या निकला फैक्ट चेक में?
फैक्ट चेक डेस्क और अन्य स्वतंत्र जांचकर्ताओं ने इस वीडियो की कीफ्रेम्स लेकर रिवर्स इमेज सर्च किया। जांच में ये बात सामने आई:
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कोई भी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय समाचार पोर्टल इस ट्रेन हादसे की पुष्टि नहीं कर रहा था।
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दिल्ली में यमुना नदी के आसपास किसी भी हाल में ऐसी ट्रेन सेवा या पुल मौजूद नहीं है जहां से इस तरह का हादसा हो।
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वीडियो की क्वालिटी और विजुअल एलिमेंट्स असली घटना से मेल नहीं खाते।
एआई डिटेक्शन टूल से खुली पोल
इसके बाद जांचकर्ताओं ने वीडियो को AI-detection tools, खासतौर से Hive Moderation जैसे टूल से स्कैन किया। इस जांच में खुलासा हुआ कि:
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वीडियो AI-Generated Content है।
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वीडियो में प्रयुक्त ट्रेन, पानी का मूवमेंट और इंसानी व्यवहार सिंथेटिक यानी कृत्रिम है।
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यह दृश्य किसी भी वास्तविक वीडियो फुटेज से नहीं लिया गया।
इसका मतलब साफ है कि यह वीडियो मूल रूप से किसी हादसे की रिकॉर्डिंग नहीं है, बल्कि कृत्रिम इंटेलिजेंस तकनीक से बना एक फेक सीन है जिसे लोगों को भ्रमित करने के लिए पेश किया गया।
क्यों बढ़ रही है ऐसे फेक वीडियो की संख्या?
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AI टूल्स की पहुंच आसान हो गई है — आज Midjourney, Runway, D-ID, Sora जैसे टूल्स की मदद से कोई भी व्यक्ति वीडियो बना सकता है जो बिल्कुल असली लगे।
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सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ — लोग अधिक लाइक्स, व्यूज़ और फॉलोअर्स पाने के लिए झूठी खबरें गढ़ रहे हैं।
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कमज़ोर डिजिटल साक्षरता — आम लोगों में मीडिया साक्षरता की कमी के कारण वे किसी भी दृश्य को सच मान लेते हैं।
कैसे पहचानें एआई जनरेटेड फर्जी वीडियो?
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विजुअल गड़बड़ी: मसलन, इंसानों की आँखें अजीब घूमती हैं, ट्रेनों की बनावट या मूवमेंट अस्वाभाविक लगती है।
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क्लिप में वास्तविक संवाद की कमी: ऐसे वीडियो में अक्सर आवाज़ें नहीं होतीं या फिर कंप्यूटर जनरेटेड होती हैं।
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कोई विश्वसनीय स्रोत नहीं: अगर वीडियो सच है, तो उसे न्यूज एजेंसियों ने क्यों नहीं दिखाया?
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टाइमस्टैम्प और स्थान की अस्पष्टता: वीडियो में तारीख या लोकेशन का कोई सही विवरण नहीं होता।