आजकल सोशल मीडिया एक शक्तिशाली मंच बन गया है, जहां पल भर में कोई भी जानकारी लाखों लोगों तक पहुंच सकती है। लेकिन यह ताकत जितनी प्रभावशाली है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है, खासतौर पर तब जब गलत या झूठी जानकारी फैलाई जाए।
इसी सिलसिले में एक फर्जी दावा इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि अमेरिका ने "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" के दौरान ईरान पर हमले के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग किया था। इस दावे ने न सिर्फ आम लोगों को भ्रमित किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संबंधों को लेकर भी कई नकारात्मक अटकलें पैदा कर दी हैं।
क्या है वायरल दावा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने एक पोस्ट की जिसमें लिखा था:
"पुष्टि: ईरान पर हमला करने के लिए अमेरिकी सेना ने भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया था। नई दिल्ली की चुपचाप की गई मिलीभगत अब उसे इतिहास के गलत पक्ष में ले गई है। ईरान इसे कभी नहीं भूलेगा।"
इस पोस्ट के साथ कुछ अज्ञात स्त्रोतों से लिए गए नक्शे और स्क्रीनशॉट्स भी साझा किए गए, जो इसे असली दिखाने की कोशिश करते हैं। देखते ही देखते यह पोस्ट हजारों बार शेयर हो गई और लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई।
फैक्ट चेक: सच्चाई क्या है?
जब यह दावा बहुत अधिक वायरल हो गया, तब India TV की फैक्ट चेक टीम ने इस पर विस्तृत जांच की। इस जांच के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं को खंगाला गया:
1. गूगल ओपन सर्च से छानबीन:
वायरल पोस्ट की पुष्टि के लिए सबसे पहले गूगल पर ऑपरेशन मिडनाइट हैमर, भारतीय एयरस्पेस, और ईरान पर हमला जैसे कीवर्ड्स सर्च किए गए। लेकिन किसी भी विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं मिली कि अमेरिका ने भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग किया हो।
2. PIB फैक्ट चेक की पुष्टि:
प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक यूनिट ने भी इस वायरल दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। एक्स पर की गई पोस्ट में उन्होंने लिखा:
"कई सोशल मीडिया अकाउंट्स ने दावा किया है कि ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान ईरान के खिलाफ विमान लॉन्च करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया गया था। यह दावा फर्जी है। अमेरिका ने भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया।"
3. अमेरिकी अधिकारियों का स्पष्टीकरण:
यूएस ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन की एक प्रेस ब्रीफिंग में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि अमेरिका ने वैकल्पिक और गैर-विवादास्पद मार्गों का प्रयोग किया था। उन्होंने यह भी बताया कि सभी संबंधित देशों से पूर्व अनुमति ली गई थी और भारत इसका हिस्सा नहीं था।
फर्जी खबरों से खतरा
इस तरह की गलत सूचनाएं न केवल आम लोगों को गुमराह करती हैं, बल्कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत की विदेश नीति, और द्विपक्षीय संबंधों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस मामले में भी कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने भारत को निशाने पर लेकर भ्रामक और उकसाने वाले कमेंट्स किए, जो स्थिति को और तनावपूर्ण बना सकते हैं।
क्या करें ऐसे मामलों में?
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फॉरवर्ड करने से पहले सोचें: कोई भी सनसनीखेज पोस्ट बिना जांच के साझा न करें।
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विश्वसनीय स्त्रोतों से पुष्टि करें: सरकार के आधिकारिक पोर्टल्स जैसे PIB, प्रेस ब्रिफिंग्स और बड़ी मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट पर भरोसा करें।
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फैक्ट चेक प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग करें: Alt News, Boom Live, Factly जैसे प्लेटफॉर्म पर संदिग्ध खबरों की पुष्टि कर सकते हैं।
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सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं: गलत जानकारी को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है सोशल मीडिया साक्षरता।
निष्कर्ष
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर से जुड़ा यह दावा पूरी तरह फर्जी और भ्रामक है। न तो अमेरिका ने भारत के एयरस्पेस का उपयोग किया और न ही भारत सरकार ने ऐसी कोई अनुमति दी। ऐसे झूठे दावों का मकसद सिर्फ भ्रम फैलाना और लोगों की भावनाओं को भड़काना है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है, वहां हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह सच और झूठ में फर्क करना सीखे।
"सच्ची जानकारी ही सशक्त नागरिक बनाती है – सतर्क रहें, सजग बनें।"