सऊदी अरब और पाकिस्तान जैसे कई मुस्लिम बहुल देश जहां अक्सर अमेरिका के सामने नरम रुख अपनाते हैं, वहीं दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया ने अमेरिकी व्यापारिक शर्तों को मानने से साफ इनकार कर दिया है। इंडोनेशिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा और अमेरिका की शर्तों पर कोई ट्रेड डील नहीं करेगा।
इंडोनेशिया की यह दृढ़ता ऐसे समय में सामने आई है, जब अमेरिका एशिया में चीन पर नकेल कसने की कोशिश कर रहा है। 28 करोड़ की आबादी वाला इंडोनेशिया, जिसमें से 91 प्रतिशत मुसलमान हैं, दुनिया में मुस्लिम आबादी के मामले में सबसे बड़ा देश है।
"ज़हर की गोली" शर्त को नकारा
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया ने अमेरिका के प्रस्तावित व्यापार समझौते में शामिल एक विवादित प्रावधान को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसे विशेषज्ञ 'पॉइजन पिल' (जहर की गोली) कह रहे हैं। जकार्ता के इस फैसले से अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है।
इंडोनेशिया और अमेरिका में विवाद क्या है?
विवाद की शुरुआत मई 2025 में हुई, जब अमेरिका ने इंडोनेशिया को हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। इसके बाद जब दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई, तो अमेरिका ने एक कड़ी शर्त रखी:
इस शर्त को इंडोनेशिया ने मानने से इनकार कर दिया है। इंडोनेशिया का रुख स्पष्ट है कि वह व्यापार समझौते के चक्कर में अपनी विदेश नीति तय करने की संप्रभुता नहीं खो सकता है। जकार्ता का यह कड़ा रूख अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर जब वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
🇨🇳 चीन से नज़दीकी बनी विरोध की वजह
यह सवाल उठ रहा है कि सऊदी, पाकिस्तान, तुर्की जैसे देशों के विपरीत इंडोनेशिया ने अमेरिका का खुलकर विरोध क्यों किया, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खुले मंच पर डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी कर चुके हैं?
इसका मुख्य कारण चीन के साथ इंडोनेशिया की मज़बूत आर्थिक और सामरिक नज़दीकी है।
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सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर: ब्रॉडशीट एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, चीन वर्तमान में इंडोनेशिया का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 147.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। इंडोनेशिया इतनी बड़ी आर्थिक भागीदारी को अमेरिका के खातिर नहीं तोड़ना चाहेगा।
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सामरिक संबंध: हाल ही में, इंडोनेशिया ने चीन के साथ जेएफ फाइटर जेट का एक बड़ा सैन्य समझौता भी किया है।
यदि इंडोनेशिया अमेरिका की 'पॉइजन पिल' शर्त को मानता, तो उसे चीन से अपने आर्थिक और सामरिक संबंध तोड़ने पड़ते, जो वर्तमान सरकार किसी भी सूरत में नहीं करना चाहती। इंडोनेशिया अपनी राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता को प्राथमिकता देते हुए अमेरिका की शर्तों को अस्वीकार करने का साहसी निर्णय लिया है।