22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद से पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। खुफिया इनपुट्स के आधार पर संदिग्धों की तलाश की जा रही है और इसी क्रम में आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) को झारखंड में बड़ी सफलता मिली है। ATS ने झारखंड के धनबाद जिले से हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) के झारखंड मॉड्यूल से जुड़े 33 वर्षीय अम्मार याशर को गिरफ्तार किया है।
अम्मार याशर: 10 साल जेल में बिता चुका आतंकी
जांच में सामने आया कि अम्मार याशर पहले इंडियन मुजाहिदीन (IM) जैसे कुख्यात आतंकी संगठन का भी हिस्सा रह चुका है। उसे वर्ष 2014 में राजस्थान की जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी पाए जाने के बाद वह 10 साल तक जेल में रहा, और मई 2024 में जमानत पर बाहर आया। बाहर आते ही वह फिर से हिज्ब-उत-तहरीर के नेटवर्क में सक्रिय हो गया और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो गया।
गिरफ्तारी कहां से हुई?
अम्मार याशर को धनबाद जिले के शमशेर नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया। ATS ने उसे पकड़ने के बाद अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
पूछताछ में मिला बड़ा सुराग
अम्मार की गिरफ्तारी का सुराग ATS को हिज्ब-उत-तहरीर के ही एक और सदस्य अयान जावेद से पूछताछ के दौरान मिला। अयान को हाल ही में ATS ने धनबाद से गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान अयान ने अम्मार के आतंकी गतिविधियों में दोबारा शामिल होने की जानकारी दी।
ATS को अयान के पास से कुछ संदिग्ध दस्तावेज भी मिले, जिनमें अयान और अम्मार दोनों के प्रतिबंधित आतंकी संगठन से संबंध के प्रमाण मिले। इन दस्तावेजों के आधार पर ही अम्मार की तलाश शुरू हुई।
5 दिन में 5 गिरफ्तारियां
इस ऑपरेशन के दौरान 26 अप्रैल को ATS ने चार अन्य संदिग्ध आतंकियों को भी गिरफ्तार किया था:
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गुलफाम हसन (21)
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अयान जावेद (21)
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मोहम्मद शहजाद आलम (20)
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शबनम परवीन (20)
इन सभी को हिज्ब-उल-तहरीर और अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़ा पाया गया। इनकी गिरफ्तारी के बाद ही अम्मार की गिरफ्तारी को अंजाम दिया गया।
अम्मार के पास से क्या मिला?
अम्मार याशर के मोबाइल और अन्य निजी सामानों से कई संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल डेटा मिले हैं, जो उसके आतंकी कनेक्शन को मजबूत आधार देते हैं। पूछताछ में अम्मार ने स्वीकार किया कि:
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वह इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था।
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जेल से छूटने के बाद वह दोबारा कट्टरपंथियों के संपर्क में आया।
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उसका मकसद आतंकी नेटवर्क को झारखंड में मजबूत करना था।
अम्मार के खिलाफ दर्ज केस
झारखंड ATS के अनुसार, अम्मार याशर के खिलाफ अब तक तीन अहम मामले दर्ज हैं:
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प्रतापनगर, जोधपुर (2014): इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े होने के आरोप में गिरफ़्तारी।
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लालकोठी, जयपुर (2019): कारा अधिनियम के तहत मामला दर्ज।
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SOG, जयपुर (2024): विस्फोटक अधिनियम और UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) की धाराओं में केस दर्ज।
देशभर में ATS का कड़ा पहरा
पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने देशभर में आतंकी मॉड्यूल्स को खत्म करने की मुहिम तेज कर दी है। झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में ATS, NIA और खुफिया एजेंसियां मिलकर लगातार छापेमारी कर रही हैं।
अधिकारियों के अनुसार, हिज्ब-उत-तहरीर और AQIS जैसे संगठन युवा मुस्लिमों को कट्टरपंथी विचारधारा में फंसाकर भारत में आतंकी नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की गिरफ्तारियां बड़ी कामयाबी मानी जा रही हैं।
निष्कर्ष: एक बड़ी कामयाबी, लेकिन सतर्कता जरूरी
अम्मार याशर की गिरफ्तारी ने साफ कर दिया है कि आतंकी संगठन जेल में बंद सदस्यों को भी फिर से एक्टिव करने की कोशिश में हैं। यह गिरफ्तारी न केवल झारखंड बल्कि देशभर में स्लीपर सेल्स और मॉड्यूल्स की संभावित सक्रियता को लेकर एक चेतावनी है।
सुरक्षा एजेंसियों को अब न सिर्फ पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ तेज करनी होगी, बल्कि साइबर निगरानी और स्थानीय इंटेलिजेंस नेटवर्क को और मजबूत करना होगा, ताकि देश के भीतर आतंकी गतिविधियों को समय रहते रोका जा सके।