भारत की वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की यात्रा वास्तव में एक उल्लेखनीय सफलता की कहानी है, जिसकी धुरी प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) रही है। हाल ही में, वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) के सचिव, एम. नागराजू ने इस योजना के तहत खुले बैंक खातों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े साझा किए, जो इस पहल की व्यापकता और प्रभाव को दर्शाते हैं।
एम. नागराजू ने एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ASCI) में ‘भारत की वित्तीय समावेशन यात्रा’ पर व्याख्यान देते हुए बताया कि देश भर के जन धन खातों में कुल जमा राशि लगभग ₹2.75 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। यह एक महत्वपूर्ण आँकड़ा है, जो बैंकिंग प्रणाली में लोगों के बढ़ते विश्वास और बचत की आदतों को दर्शाता है। उनके अनुसार, इन खातों में औसतन प्रति खाता लगभग ₹4815 जमा है।
नागराजू ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की वित्तीय समावेशन की यात्रा "किसी चमत्कार से कम नहीं" रही है। 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना वास्तव में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुई है, जिसके माध्यम से 57 करोड़ से अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया गया। यह संख्या अपने आप में इस योजना की सफलता और देश की बड़ी आबादी तक पहुँचने की इसकी क्षमता का प्रमाण है।
जन धन खातों की संरचना और DBT का प्रभाव
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने जन धन खातों की भौगोलिक और लिंग-आधारित संरचना के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन खातों में से लगभग 78.2% खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी (सेमी-अर्बन) क्षेत्रों में हैं। यह आँकड़ा स्पष्ट करता है कि योजना अपनी मूल भावना के अनुरूप, दूर-दराज के और कम बैंकिंग सुविधा वाले क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से पहुँची है। इसके अलावा, इन खातों में 50% अकाउंट महिलाओं के नाम पर हैं, जो देश में महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण (Financial Empowerment) की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जन धन योजना की सफलता में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। एम. नागराजू ने बताया कि चालू वित्त वर्ष (Current Financial Year) में DBT के माध्यम से कुल ₹3.67 लाख करोड़ की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की गई है। यह प्रणाली न केवल सरकारी योजनाओं के लाभ को जरूरतमंदों तक पहुँचाने में तेजी और समय की बचत सुनिश्चित करती है, बल्कि पूरी प्रक्रिया में उच्च स्तर की पारदर्शिता भी बनाए रखती है। DBT ने लीकेज (रिसाव) को कम करके और बिचौलियों को हटाकर सरकारी सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी को क्रांतिकारी बना दिया है।
पीएम जन धन योजना की शुरुआत
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की शुरुआत अगस्त 2014 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के हर परिवार को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना था, ताकि सरकारी योजनाओं का वित्तीय लाभ सीधे आम जनता तक बिना किसी रुकावट के पहुंचाया जा सके। जन धन योजना के तहत जीरो बैलेंस अकाउंट खोलने की सुविधा दी गई, साथ ही ग्राहकों को डेबिट कार्ड, दुर्घटना बीमा और ओवरड्राफ्ट जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी मुहैया कराई गईं, जिसने इसे समाज के हर वर्ग के लिए आकर्षक और उपयोगी बना दिया।
संक्षेप में, जन धन योजना भारत में वित्तीय सेवाओं की पहुंच को व्यापक बनाने और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में एक निर्णायक पहल रही है, जिसने करोड़ों भारतीयों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।