गुरुवार को लोकसभा (Lok Sabha) में एक सांसद द्वारा कथित रूप से ई-सिगरेट (E-Cigarette) के उपयोग का मामला गरमा गया, जिसने सदन की मर्यादा और नियमों के उल्लंघन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस मामले को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद अनुराग ठाकुर ने उठाया, जिन्होंने नाम लिए बिना एक तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद पर संसद की कार्यवाही के दौरान ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया।
अनुराग ठाकुर ने इस घटना को न केवल सदन के नियमों का सीधा उल्लंघन बताया, बल्कि इसे संसद की गरिमा और मर्यादा के खिलाफ भी करार दिया। उन्होंने कहा कि संसद वह पवित्र स्थान है, जहाँ देश के करोड़ों लोग बड़ी उम्मीद और विश्वास के साथ देखते हैं, और ऐसे में किसी भी सांसद द्वारा इस तरह का आचरण करना कतई स्वीकार्य नहीं है। ठाकुर ने सदन के पटल पर इस विषय को उठाने के माध्यम से इस बात पर ज़ोर दिया कि देश की सर्वोच्च विधायी संस्था (Highest Legislative Body) में आचरण के उच्च मानकों को बनाए रखना आवश्यक है।
स्पीकर ओम बिरला का आश्वासन
इस गंभीर आरोप के सामने आने पर, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने तत्काल हस्तक्षेप किया और सदन को भरोसा दिलाया कि इस मामले में उचित और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। स्पीकर बिरला ने स्पष्ट किया कि उन्हें अभी तक इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा कोई मामला सामने आता है और उसके प्रमाण (Proof) मिलते हैं, तो सदन के नियमों के अनुसार जांच की जाएगी। स्पीकर ने कड़े शब्दों में कहा कि किसी भी तरह के नियमों के उल्लंघन को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका यह आश्वासन सदन के सदस्यों को यह संदेश देता है कि सदन की कार्यवाही और मर्यादा के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।
'ई-सिगरेट' पर देशव्यापी प्रतिबंध
यह विवाद इसलिए भी अधिक मायने रखता है क्योंकि भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण और विज्ञापन) प्रतिषेध अधिनियम, 2019 के तहत देश भर में ई-सिगरेट के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और विज्ञापन पर पहले ही पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है। इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य युवाओं और बच्चों के बीच ई-सिगरेट के बढ़ते इस्तेमाल और उससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को रोकना है।
ऐसे में, यदि संसद परिसर के अंदर, जो कि कानून बनाने का सर्वोच्च स्थान है, किसी सांसद द्वारा ही इस प्रतिबंधित उत्पाद का उपयोग किया जाता है, तो यह कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टियों से एक गंभीर उल्लंघन है।
संसद में हुए इस बवाल ने सांसदों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct) और सदन के अंदर व्यक्तिगत व्यवहार की सीमाओं पर फिर से बहस छेड़ दी है। स्पीकर ओम बिरला के आश्वासन से यह स्पष्ट है कि नियम तोड़ने वाले के खिलाफ नियमानुसार सख्त कदम उठाए जाएंगे, ताकि सदन की मर्यादा बनी रहे और आम जनता का विश्वास कायम रहे।