असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को घोषणा की कि कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और उनकी पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से कथित संबंधों के आरोपों की जाँच अब एक केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाएगी। यह फैसला तब आया है जब राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जाँच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
SIT रिपोर्ट के बाद लिया गया फैसला
मुख्यमंत्री सरमा ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने इन आरोपों की जाँच के लिए SIT का गठन किया था, जिसने 10 सितंबर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
उन्होंने कहा, "अब जबकि SIT ने जुबीन गर्ग की मौत से जुड़े मामले में चार्जशीट पेश कर दी है, हम गौरव गोगोई के मामले पर आगे बढ़ेंगे।"
सरमा ने संकेत दिया कि जुबीन गर्ग से जुड़ा मामला नियमित सुनवाई के लिए जाने के बाद, वे इस महीने के अंत तक या अगले महीने कुछ दस्तावेज़ सार्वजनिक करेंगे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि मामला आगे की जटिल जाँच के लिए केंद्रीय एजेंसी को भेजा जाएगा।
केंद्रीय एजेंसी को जाँच सौंपने का कारण
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय एजेंसी को जाँच सौंपने के अपने निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि मामले की जटिलता को देखते हुए, अकेले असम SIT के लिए इसके सभी पहलुओं की गहन जाँच करना और उन्हें सामने लाना संभव नहीं होगा।
उन्होंने यह भी दावा किया कि SIT ने अब तक की जाँच में जो कुछ भी हासिल किया है, "वह आरोपियों के खिलाफ निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है।" यह बयान इस ओर इशारा करता है कि SIT की शुरुआती रिपोर्ट में गोगोई दंपति के खिलाफ कुछ पुख्ता आधार हो सकते हैं।
🇵🇰 ISI संबंधों के गंभीर आरोप
हिमंता बिस्वा सरमा लंबे समय से कांग्रेस सांसद और असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई और उनकी ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से संबंध होने के बेहद गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। 2025 की शुरुआत से ये आरोप असम की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन गए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने अभी तक इन आरोपों के पीछे कोई ठोस और सार्वजनिक प्रमाण पेश नहीं किया है।
गोगोई ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। आरोपों पर अपनी पिछली प्रतिक्रिया में, गौरव गोगोई ने सरमा के दावों को एक "सी-ग्रेड बॉलीवुड फिल्म" जैसा बताया था, जिसका हश्र फ्लॉप होना तय है। केंद्रीय एजेंसी को जाँच सौंपे जाने की मुख्यमंत्री की ताज़ा घोषणा पर गोगोई की ओर से अभी कोई नई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
इस कदम से स्पष्ट है कि यह राजनीतिक विवाद अब राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा एजेंसियों के दायरे में आने वाला है, जो आने वाले समय में असम और राष्ट्रीय राजनीति दोनों में हलचल पैदा कर सकता है।