श्रीरूपा घोष सिर्फ एक नाम नहीं है, वह एक ऐसी आवाज़ हैं जो दिल को छू जाती है। संगीत की दुनिया में उनकी शुरुआत बहुत छोटी उम्र में हुई — सिर्फ डेढ़ साल की उम्र में जब उन्होंने अपनी मां की देखरेख में पहला सुर गाया। आज वह एक गायक, निर्माता, और एक सफल एंटरप्रेन्योर हैं, जिन्होंनेअपने जुनून और मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है।
कोलकाता में पली-बढ़ी श्रीरूपा ने स्कूल और इंटर-स्कूल प्रतियोगिताओं में ढेरों ट्रॉफियां जीतीं। उन्होंने उस्ताद सगीरुद्दीन खान से शास्त्रीय संगीतसीखा, वहीं रवींद्र संगीत और नज़्रुल गीति की शिक्षा अपनी मां और स्वर्गीय पुरबी दत्ता से ली। बाद में मुंबई में उन्होंने स्वर्गीय सतनारायण मिश्रा सेवॉइस ट्रेनिंग ली। उनके संगीत की नींव बहुत मजबूत रही, और 14 साल की उम्र में ही उन्होंने रेडियो जिंगल्स और टीवी शोज़ में अपनी आवाज़ देनाशुरू कर दिया।
1996 में उनकी पहली बंगाली एल्बम भालो लागे (आशा ऑडियो) के तहत आई, जिसने उन्हें पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने मुंबई का रुखकिया, जहां उन्होंने टी-सीरीज टिप्स, और ज़ी म्यूजिक, जैसे बड़े म्यूजिक लेबल्स के साथ काम किया। उन्होंने रिमिक्स गानों, कृष्ण भजन, और भोजपुरीफिल्मों के लिए भी गाया। “मुंबई ने मुझे बहुत कुछ सिखाया,” वह कहती हैं, “यहां की चुनौतियों ने मुझे एक मजबूत कलाकार बना दिया।”
2005 में उनका एक हिंदी एल्बम फाइनेंस की वजह से रुक गया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज उनके गाने बरसे रिमझिम घटा और सतरंगीये मौसम है स्पॉटीफाई पर उपलब्ध हैं। उनका लेटेस्ट गाना दो दिलों के चाहके लोगों का दिल जीत रहा है, जिसे स्व. श्याम अनुरागी ने लिखा है औररॉकेट मंडल ने संगीत दिया है। श्रीरूपा कहती हैं, “ये सिर्फ एक लव सॉन्ग नहीं है, ये एक एहसास है, एक याद है।”
गायिका होने के साथ-साथ श्रीरूपा एक निर्माता भी हैं। उनकी कंपनी विवासवोके वोके वौइस् प्रोडक्शनस में वह ऐड फिल्म्स, कॉर्पोरेट वीडियो बनातीहैं और वॉइस डबिंग की ट्रेनिंग देती हैं। अपने बेटे कौस्तुव घोष के साथ उन्होंने Building Frames Productions की शुरुआत की है, जो ओटीटीप्लेटफॉर्म्स के लिए म्यूजिक वीडियो और डिजिटल कंटेंट बनाता है। वह कहती हैं, “संगीत की कोई सीमा नहीं होती। मैंने अलग-अलग देशों केलोकगीतों को इकट्ठा करके कलाकारों को जोड़ने की कोशिश की है।”
अब वह 22 अगस्त को अपना नया बंगाली गाना आनंदे एलो मा दुर्गा कोलकाता में सभी पोर्टल्स पर लॉन्च करने जा रही हैं। श्रीरूपा का सपना है किवह और भी भक्ति गीत बनाएं और लोगों के दिलों तक अपनी आवाज़ से पहुंचें। “संगीत मेरा जीवन है,” वह मुस्कराकर कहती हैं, “हर गाना, हर प्रोजेक्टमुझे कुछ नया सिखाता है और मुझे लोगों के करीब लाता है।”