फिल्म ओम शांति ओम के सबसे यादगार और इमोशनल सीन में से एक है जब शाहरुख खान का किरदार, ओम प्रकाश मखीजा, फ़िल्मफेयर अवॉर्डजीतने पर मंच पर एक दिल से निकली हुई स्पीच देता है। इस स्पीच के लेखक मयूर पुरी हाल ही में अपने इंटरव्यू बताया कि यह डायलॉग असल मेंउनके अपने जीवन से प्रेरित था—एक ऐसा भाषण जो उन्होंने खुद के लिए बहुत पहले लिख रखा था, उस वक्त जब वो खुद फिल्म इंडस्ट्री में नहींआए थे।
मयूर पुरी ने बताया, “डायलॉग लिखते वक्त हम हमेशा कोशिश करते हैं कि किरदार की सच्चाई को पकड़ें—वो असली भावना क्या है, जो वो कह रहाहै। ओम के डायलॉग्स में यही कोशिश की गई।” उन्होंने ओम को एक “खुशमिजाज़ और पॉज़िटिव” किरदार बताया, जो 70 के दशक का एकस्ट्रगलिंग जूनियर आर्टिस्ट है। “वो 30 साल का है, हीरो बनने की उम्मीद अब भी छोड़ी नहीं है, और उसे पता है कि वो बहुत अच्छा ऐक्टर नहीं है,” पुरीने कहा। फिल्म की एक मशहूर लाइन का जिक्र करते हुए उन्होंने जोड़ा, “हमारे पूरे खानदान में ओवरएक्टिंग का खून दौड़ता है।”
जब निर्देशक फराह खान ने मयूर को बताया कि ये भाषण फिल्म के पहले हाफ का सबसे महत्वपूर्ण और "लाइफ-अफर्मिंग" मोमेंट होगा, तो मयूर नेबिना देर किए जवाब दिया, “मेरे पास पहले से ही भाषण तैयार है।” उन्होंने बताया, “मैंने ये खुद के लिए सालों पहले लिखा था—अगर कभी मुझेफ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिले तो देने के लिए। अब अगर कभी सच में मिला, तो मुझे नया भाषण सोचना पड़ेगा—क्योंकि वो अब ओम का है।”
ओम शांति ओम, जिसे मयूर पुरी और मुश्ताक़ शेख ने लिखा और फराह खान ने डायरेक्ट किया, 2007 में रिलीज़ होते ही सुपरहिट हो गई थी। इसेगौरी खान ने रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के बैनर तले प्रोड्यूस किया था। इस फिल्म से दीपिका पादुकोण ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था, और शाहरुख नेडबल रोल निभाया था—ओम प्रकाश मखीजा और ओम कपूर का। फिल्म ने बॉलीवुड की पुरानी यादों, पुनर्जन्म की कहानी, और इमोशनल बदले कीकहानी को बखूबी मिलाया, जिससे दर्शक गहराई से जुड़ गए।
मयूर पुरी का ये खुलासा उस मशहूर भाषण को और भी खास बना देता है। वो सिर्फ ओम का सपना पूरा नहीं हो रहा था मंच पर—बल्कि मयूर पुरी काभी एक सपना, जो कभी उन्होंने चुपचाप अपने लिए लिखा था। यही वजह है कि वो सीन आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है—एक सच्ची भावना केसाथ लिखा गया शब्द, जो हर किसी को छू जाता है।
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